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नेहा सिंह राठौर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका,अग्रिम जमानत याचिका खारिज


लखनऊ

रिपोर्ट: देवेन्द्र पाण्डेय

लोकप्रिय भोजपुरी लोक गायिका और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर नेहा सिंह राठौर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से शुक्रवार को तगड़ा झटका लगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कथित अपमानजनक टिप्पणी करने से जुड़े मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका को कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया।अब उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार और तेजी से लटक रही है।


जांच में सहयोग न करने पर कोर्ट सख्त

जस्टिस बृजराज सिंह की एकल पीठ ने साफ कहा कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं,इसलिए अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।कोर्ट ने remarked कि इस स्तर पर जांच बाधित हो रही है और अग्रिम जमानत देने से जांच प्रभावित होगी।


अप्रैल 2024 में दर्ज हुई थी FIR

हजरतगंज कोतवाली में अप्रैल 2024 में दर्ज FIR के मुताबिक,पहलगाम आतंकी हमले के बाद नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए थे।पोस्ट में लिखा था:


- प्रधानमंत्री बिहार आए ताकि पाकिस्तान को धमका सकें  

- राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बटोर सके  

- भाजपा देश को युद्ध की तरफ धकेल रही है  

- अपनी “गलती मानने” के बजाय बाहरी मुद्दों को भटकाव के रूप में इस्तेमाल कर रही है  


सरकार की ओर से इसे भ्रामक, उकसाने वाला और अपमानजनक बताते हुए IPC की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।


जांच में शामिल नहीं हुईं नेहा

सरकारी वकील डॉ. वी.के. सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि:

- नेहा सिंह को कई बार नोटिस भेजा गया,लेकिन वे जांच में शामिल नहीं हुईं  

- मांगी गई जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई  

- सोशल मीडिया पोस्ट का प्रभाव व्यापक है,जांच पूरी होना जरूरी है  


इन तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।


पहले भी मिल चुके हैं झटके

- सितंबर 2024 में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उनकी FIR रद्द करने वाली याचिका खारिज की थी  

- सुप्रीम कोर्ट ने भी सितंबर में ही अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था  

- शीर्ष अदालत ने कहा था कि जांच एजेंसी को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए  


नेहा की दलील – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

नेहा की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि:

- यह राजनीतिक टिप्पणी मात्र थी  

- लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करना नागरिक का अधिकार है  

- पोस्ट से न तो वैमनस्य फैलता है,न हिंसा को बढ़ावा मिलता है  

- लगाई गई धाराएं अतिशयोक्तिपूर्ण हैं  


कोर्ट ने हालांकि माना कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है,लेकिन जांच में सहयोग न करना गंभीर मामला है।सहयोग के अभाव में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।


अब इस मामले में नेहा सिंह राठौर के लिए कानूनी रास्ते और संकरे हो गए हैं।

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