पालघर
जनपद में कथित रूप से पद और पहचान के दुरुपयोग का एक मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बताया जाता है कि पालघर निवासी अशोक अम्बुरे ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए एक महिला की दुकान तुड़वाने की कार्रवाई करवाई। इस पूरे घटनाक्रम में दीक्षित परिवार की भूमिका भी बताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार, दीक्षित परिवार की एक दुकान कथित रूप से अवैध तरीके से वॉल कंपाउंड के बाहर स्थित है, जहां सड़क की चौड़ाई लगभग 12 फीट है। बावजूद इसके, वह दुकान नहीं तोड़ी गई, जबकि बिल्डिंग के अंदर स्थित एक अन्य दुकान को आगे से तोड़ दिया गया। यह कार्रवाई मुख्य अधिकारी पंकज पवार के आदेश पर की गई बताई जा रही है।
दुकान तोड़े जाने के बाद अशोक अम्बुरे की ओर से कथित रूप से यह टिप्पणी की गई थी—“जैसी करनी, वैसी भरनी।” हालांकि, 21 दिसंबर को हुए स्थानीय चुनाव में अशोक अम्बुरे के परिवार को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद स्थानीय स्तर पर उसी कथन को लेकर राजनीतिक और सामाजिक चर्चाएं तेज हो गई हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला केवल एक दुकान तोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रशासनिक निष्पक्षता और प्रभावशाली लोगों को मिल रही कथित राहत पर भी सवाल उठते हैं। मामले को लेकर क्षेत्र में नाराज़गी और चर्चा का माहौल बना हुआ है। इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग अब जोर पकड़ रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कार्रवाई में नियमों का समान रूप से पालन हुआ या नहीं।

0 Comments