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वाराणसी के छितौना कांड में घायल छोटू राजभर इलाज के दौरान मौत


शकुन टाइम्स 


रिपोर्ट: देवेंद्र पांडेय 


वाराणसी 



वाराणसी: जनपद के चौबेपुर थाना क्षेत्र के छितौना गांव में गाय के खेत में घुसने से शुरू हुआ विवाद अब खून-खराबे का पर्याय बन गया।तीन महीने पहले 5 जुलाई को ठाकुर और राजभर बिरादरियों के बीच हुए हिंसक झड़प में गंभीर रूप से घायल छोटू राजभर (28) की शुक्रवार सुबह ट्रॉमा सेंटर में मौत हो गई।इस खबर ने गांव में तनाव की लहर दौड़ा दी,परिवार में मातम छा गया और पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए।

क्या हुआ था 5 जुलाई को ?

पूरा मामला 5 जुलाई 2025 को उस वक्त शुरू हुआ,जब ठाकुर बिरादरी के संजय सिंह के खेत में एक आवारा गाय घुस गई।संजय ने गाय को भगाया,तो वह पड़ोस के राजभर बिरादरी के खेत में चली गई और फसल को नुकसान पहुंचाने लगी।राजभर पक्ष ने गाय को वापस भगाया,लेकिन वह फिर संजय के खेत में लौट आई।इस बात पर संजय को शक हुआ कि राजभर पक्ष जानबूझकर गाय को उनके खेत में भेज रहा है।दोनों पक्षों में पहले तीखी नोकझोंक हुई,जो जल्द ही जंग में बदल गई।

आरोप है कि राजभर बिरादरी के लोगों ने संजय सिंह और उनके भाई अनुराग सिंह पर तलवार से हमला किया।इस हिंसा में छोटू राजभर सहित दोनों पक्षों के करीब 10 लोग घायल हुए।पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घायलों को हेल्थ सेंटर पहुंचाया,लेकिन वहां भी राजभर पक्ष के कुछ लोगों ने जीप से संजय और उनके परिवार को खींचकर पीटा। हेल्थ सेंटर पर भी हमला हुआ,जहां एम्बुलेंस में घायलों पर लाठियां बरसाई गईं।सभी घायलों को ट्रॉमा सेंटर भेजा गया,जहां छोटू की हालत नाजुक बनी रही।


छोटू की मौत ने फिर सुलगाया

 विवाद


शुक्रवार सुबह छोटू की मौत की खबर ने गांव को झकझोर दिया। परिवार में कोहराम मच गया।छोटू की मां शांति देवी और बहन रीता का रो-रोकर बुरा हाल है।पिता रामगुलाम राजभर ने कहा,"मेरा बेटा तीन महीने तक जिंदगी और मौत से जूझता रहा। हमने सब कुछ किया,लेकिन उसे बचा न सके।"


सियासी दबाव और एकतरफा कार्रवाई का आरोप


इस मामले ने सियासी रंग भी ले लिया।राजभर पक्ष की शिकायत पर तुरंत FIR दर्ज हुई,लेकिन ठाकुर पक्ष की तहरीर को पुलिस ने कथित तौर पर अनसुना कर दिया।इससे नाराज ठाकुर पक्ष के समर्थन में करणी सेना भी उतरी।करणी सेना ने आरोप लगाया कि राजभर पक्ष संजय सिंह की खेत की जमीन हथियाने की साजिश रच रहा है।मंत्री अनिल राजभर के दबाव में पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है।यह ठाकुर समाज के साथ अन्याय है।



वहीं,सुभासपा नेता और मंत्री ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर ने लखनऊ में DGP से मुलाकात कर राजभर समाज पर अत्याचार का आरोप लगाया।उनकी शिकायत के बाद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने SIT का गठन किया।लापरवाही के आरोप में चौबेपुर थाना प्रभारी रविकांत मलिक को लाइन हाजिर कर दिया गया।दो दिन के प्रदर्शन के बाद ठाकुर पक्ष की तहरीर पर राजभर पक्ष के सात नामजद और एक अज्ञात—के खिलाफ FIR दर्ज हुई।


जमीन विवाद या जातीय टकराव?



ग्रामीणों का कहना है कि यह झगड़ा सिर्फ गाय का नहीं,बल्कि खेत की आधा बिस्वा जमीन और बांस के झुरमुट को लेकर है।ठाकुर पक्ष का दावा है कि राजभर पक्ष उनकी जमीन पर कब्जा करना चाहता है,जबकि राजभर पक्ष इसे सामाजिक उत्पीड़न बता रहा है।समाजवादी पार्टी ने भी गांव पहुंचकर राजभर समुदाय से मुलाकात की और इसे योगी सरकार की विफलता बताया।विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला 2027 के विधानसभा चुनावों में पूर्वांचल की 36 सीटों पर राजभर और ठाकुर वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।


अब क्या?

SIT ने जांच तेज कर दी है।छोटू के पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट का इंतजार है।पुलिस ने गांव में शांति समिति की बैठक बुलाई है,लेकिन माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।छोटू के परिवार ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है।ग्रामीणों का कहना है कि अगर जांच निष्पक्ष नहीं हुई,तो मामला और भड़क सकता है।यह घटना एक बार फिर जातीय सौहार्द पर सवाल उठा रही है।क्या यह विवाद शांत होगा या सियासी आग में और भड़केगा? इसका जवाब समय बताएगा।

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